मजाक ऐसा कि सभी करें पसंद

मजाक ऐसा कि सभी करें पसंद

आज के भौतिकवादी युग में तेज गति से दौड़ती इंसानी जिंदगी में परेशानियां दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं।  आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान को हंसी मजाक के बहुत कम अवसर नसीब होते है और शायद अधिकतर लोग दिल से हंसना भी भूलते जा रहे हैं, जिस से कुण्ठित समाज का निर्माण शुरू हो गया हैं। दिल खोल कर हंसना सेहत व दिमाग के लिए किसी टाॅनिक से कम नहीं। इंसान के मन में मजाक हंसी व खुशी के अंकुर प्रस्फुटित करता है। निस्संदेह आज मजाक करने वाले लोगों की कमी लगातार खलती जा रही हैं। कारण, लोगों की मानसिकताओं मे तीव्र परिवर्तन, अपना अहम और खोखले भौजिकवादी आदर्श। एक स्वस्थ मजाक से मिली हंसी-खुशी तन और मन दोनों को स्वस्थ बनाती है लेकिन भद्दा या फूहड़ किस्म का किया मजाक किसी को दुखी व अशांत कर सकता हैं, जो कभी-कभी आपसी मनमुटाव व झगड़े का रूप भी धारण कर लेता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए। आइये इस विषय पर कुछ और आगे बढ़ते हैं। मजाक क्यों किया जाता है, यह सर्वविदित है। ऊपर भी लिखा जा चुका है मगर किससे कब और कैसे किया जाना चाहिए, यह जानना  बेहद जरूरी है। किसी से भी मजाक करने से पहले यह ध्यान रखना जरूरी है कि सामाने वाला आप से परिचित है यह नहीं। अपरिचित व्यक्ति से सीधे कभी मजाक न करें, हो सकता है वह मजाक पसंद न करना हो। ऐसे आदमी से भी मजाक न करें जो दूसरों के साथ मजाक न करता हों अथवा सहन न कर सकता हो। अगर आप किसी से मजाक कर रहे हैं तो सामने वाला भी मजाक कर सकता है। अतः आप में मजाक सहने की भी सहनशीलता अवश्य होनी चाहिए। मजाक कब किया जाये, यह एक विचारणीय विषय है। वैसे तो इंसान को ज्यादा से ज्यादा हंसी मजाक के पल बटोरकर निकालने चाहिए मगर गंभीर, दुखी, अत्यधिक व्यस्त व नशेडी महफिल जैसे वातावरण में किसी से मजाक न करें। मजाकिया होना अच्छी बात है मगर अर्थहीन मजाक किसी भी व्यक्तित्व को बिगाड़ सकता है। ऐसा व्यक्ति खुद दूसरों की हंसी का पात्र बन जाता है। स्वस्थ मजाक में अर्थयुक्त वाकपटुता, सहनशीलता, सामयिक विषय में चार चांद लगा देती है। ब्याह शादियों आदि मौकों पर मजाक का माहौल होता है। युवक युवतियों में आकर्षण स्वाभाविक है अतः ऐसे मौकों पर समझदारी से काम लेना चाहिए। मजाक ऐसे करें कि कोई गलत अर्थ न लगाये। फूहड़, भद्दा या किसी को मानसिक कष्ट पहुंचाने वाला मजाक कदापि न करें मजाक यथासंभव हम उम्र के व्यक्तियों से ही किया जाना चाहिए। मजाक में अबोध बच्चें या अज्ञानी व्यक्ति को किसी गलत कार्य करने के लिए प्रेरित न करें।

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