ताकि बनी रहे शिशुओं की सेहत

ताकि बनी रहे शिशुओं की सेहत

स्तनपान करा रही मांओं की हमेशा से ही यह चिंता होती है कि शिशुओं को किस उम्र तक स्तनपान कराना उचित रहता है और उसे छुड़ाने का सही समय कौन-सा होता है? उसे किस प्रकार ठोस आहार देना शुरू करना चाहिए और इसके साथ स्तनपान कराते रहना चाहिए या नहीं?
शिशुओं के ब्रेस्टफीडिंग के पैटर्न में हो रहे बदलाव को करीब से देखने पर इस बात का पता लगाया जा सकता है कि उसे कब स्तनपान कराना चाहिए? विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों को छह महीने की उम्र तक सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए और जब तक वह एक साल का नहीं हो जाता, उसे स्तनपान के साथ ठोस आहार भी देना चाहिए, लेकिन उसे कब से मां का दूध देना बंद करना चाहिए यह हरेक बच्चे की स्थिति को देखकर निर्णय लिया जा सकता है।
कैसे जानें कि शिशु तैयार है…
शिशु के छह महीने का हो जाने के बाद आप उसके ब्रेस्टफीडिंग के रूटीन में परिवर्तन पाएंगी। यह कई बार मांओं के लिए इस बात का संकेत होता है कि शिशु को अब ठोस आहार की शुरुआत कर देनी चाहिए।
कई बच्चे एक साल की उम्र का हो जाने पर विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाने लगते हैं और इन्फेंट कप से जूस या सूप पीना शुरू कर देते हैं। यदि शिशु थोड़ा बड़ा हो जाए और शांत होकर ब्रेस्टफीड करने में दिलचस्पी ना ले रहा हो तो यह स्तनपान बंद कराने का सही समय हो सकता है।
ये हो सकते हैं संकेत…
1 स्तनपान का समय कम हो जाता है।
2 इस दौरान आसानी से शिशु का ध्यान भटकने लगे।
3 स्तनपान करने की बजाय खेलना शुरू कर दे।
4 शिशु स्तनपान में अधिक दिलचस्पी ना ले रहा हो।
धीरे-धीरे बढ़ाएं कदम…
शिशु को एकदम से स्तनपान बंद कराना मां और शिशु दोनों पर प्रभाव डालेगा। इससे मांओं को ब्रेस्ट इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है और अचानक इस बदलाव से बच्चा चिड़चिड़ा भी हो सकता है। यह याद रखें कि स्तनपान शिशुओं के आराम के साथ उनके पोषण से जुड़ा है तो इसे छुड़ाने में जल्दबाजी नुकसानदायक हो सकती है। बच्चे की जरूरतों का पूरा ध्यान रखते हुए स्तनपान कराएं। बच्चे से बॉन्डिंग के लिए अलग तरीके ढूंढे जैसे उसे कहानियां सुनाएं, उसके साथ खेलें या उससे बातें करते हुए वॉक पर ले जाएं। इस बात का ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया का भावनात्मक प्रभाव दोनों पर पड़ सकता है और इस बदलाव पर मिश्रित भावनाएं सामान्य बात है।
कुछ दिनों का वक्त दें…
स्तनपान बंद कराने के कुछ दिनों बाद या कुछ हफ्तों तक शुरूआती बदलावों के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश करें। एकदम से स्तनपान बंद कराने की बजाय धीरे-धीरे इस प्रक्रिया की ओर बढ़ें, यदि आपको असहजता महसूस हो तो दिन में एक बार स्तनपान करा सकती हैं। इस रूटीन को लगातार फॉलो करते रहने से प्राकृतिक रूप से दूध का बनना कम होने लगता है। यदि एक बार स्तनपान की अवधि कम हो गई तो इसे लगातार कम करते हुए बंद किया जा सकता है। कई मांएं स्तनपान बंद कराने से पहले काफी समय तक केवल बच्चे को सुलाते समय ही स्तनपान कराती हैं।

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