अपने दांतों का ख्याल कैसे रखना चाहिए, जानें दांतों के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी बातें विस्तार से

अपने दांतों का ख्याल कैसे रखना चाहिए, जानें दांतों के स्वास्थ्य से जुड़ी सभी बातें विस्तार से

जिंदगी का मजा तभी तक है, जब तक आपके दांत सलामत हैं। दांत न रहने पर ऐसी बहुत सारे खाने की चीजें हैं, जिनका मजा आप नहीं ले पाते हैं। दांत खाना चबाने में मदद करने के साथ-साथ हमारी खूबसूरती भी बढ़ाते हैं। इन सब बातों को जानने के बाद भी अक्सर लोग दांतों के स्वास्थ्य के प्रति उतने सजग नहीं होते हैं। दांतों के स्वास्थ्य का सीधा संबंध आपके दिल से भी है जो लोग अपने दांतों को गंदे रखते हैं या जिन्हें मसूड़ों से जुड़े रोग होते हैं, उनमें हार्ट अटैक और दूसरी दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। दांतों से जुड़ी कोई न कोई समस्या होती ही रहती है। लेकिन, कम लोग ही छोटी-मोटी समस्या के लिए दंत विशेषज्ञ के पास जाते हैं। इस अनदेखी के कारण ही कई बार छोटी-छोटी बीमारियां भी गंभीर हो जाती हैं। अगर आप दांतों की सही देखभाल करें और हर छह महीने में अपने दांतों का नियमित चेकअप करवायें तो समस्याओं को समय रहते रोका जा सकता है। दांतों में ठंडा-गरम लगना, कैविटी (कीड़ा लगना), पायरिया, मुंह से बदबू आना और दांतों का बदरंग होना जैसी बीमारियां सबसे सामान्य देखी जाती हैं। अधिकतर लोग इनमें से किसी न किसी परेशानी से दो-चार होते रहते हैं।

क्यों लगता है ठंडा गरम
दांत टूटने, नींद में किटकिटाने, दांतों के घिसने के बाद, मसूड़ों की जड़ें नजर और कैविटी के कारण दांतों में ठंडा-गरम लगने लगता है। इसके साथ ही ब्रश करते समय दांतों पर ज्यादा जोर डालने से भी दांत घिस जाते हैं और बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। बचाव के लिए क्या करें ब्रश करते समय दांतों पर ज्यादा दबाव न डालें। और साथ ही दांतों को पीसने से बचें। इसके लिए डाॅक्टर खास टूथपेस्ट इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। बाजार में मिलने वाले सेंसेटिव टूथपेस्ट इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर दो से तीन महीने पेस्ट करने के बाद भी आपको आराम न मिले तो आपको डाॅक्टर को दिखाना चाहिये।
दांत में कीड़ा लगना
कई बार दांतों की सही प्रकार से देखभाल नहीं करने पर दांतों में सुराख हो जाता है और इस वजह से यह समस्या होती है। इसके साथ ही मुंह में बनने वाला एसिड भी इसके लिए जिम्मेदार होता है। हमारे मुंह में बैक्टीरिया जरूर होते हैं। और जब खाने के बाद जब हम कुल्ला नहीं करते तो ये बैक्टीरिया मुंह में ही रह जाते हैं। इन परिस्थितियों में भोजन के कुछ ही देर बाद यह बैक्टीरिया मीठे या स्टार्च वाली चीजों को स्टार्च में बदल देते हैं। बैक्टीरिया युक्त यह एसिड और मुंह की लार मिलकर एक चिपचिपा पदार्थ(प्लाक) बनाते हैं। यह चिपचिपा पदार्थ दांतों के साथ चिपककर दांतों और मसूड़ों को नुकसान पहुंचाने लगता है। प्लाक का बैक्टीरिया जब दांतों में सुराख यानी कैविटी कर देता है तो इसे ही कीड़ा लगना अर्थात कैरीज कहते हैं।
इससे बचने के लिए रात को जरूर ब्रश करके सोयें। इसके साथ मीठी या स्टार्च वाली चीजें कम खायें। इन चीजों के सेवन से आपके दांतों पर बुरा असर पड़ता है। खाने के बाद ब्रश या कुल्ला जरूर करें। अपने दांतों की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।
इन सभी से बचने के लिए कुदरती इलाज के तौर पर दांतों में लौंग या उसका तेल भी लगाया जा सकता है। इससे मसूड़ों का दर्द कम हो जाता है। हां, दर्द दूर होने के बाद इसे भूल न जाएं। आपको डाॅक्टर के पास जाकर फिलिंग जरूर करवानी चाहिये।
फिलिंग करवाये बिना दांतों में ठंडा-गरम और खट्टा मीठा लगता रहता है। इसके बाद आपको दांतों में दर्द भी हो सकता है। समस्या अधिक हो जाए तो पस भी बन सकती है। और आगे चलकर आपको रूट कनाल करवाना पड़ सकता है। इसलिए फिलिंग करवाने में देरी न करें।
सांस में बदबू
मसूड़ों और दांतों की अगर सही प्रकार सफाई न की जाए, तो उनमें सड़न और बीमारी के कारण सांसों में बदबू हो सकती है। प्याज और लहसुन आदि खाने से भी मुंह से बदबू आने लगती है। लौंग, इलायची चबाने से इससे छुटकारा मिल जाता है। थोड़ी देर तक शुगर . फ्री च्यूइंगगम चबाने से मुंह की बदबू के अलावा दांतों में फंसा कचरा निकल जाता है और मसाज भी हो जाती है।

पायरिया
मुंह से बदबू आने लगे, मसूड़ों में सूजन और खून निकलने लगे और चबाते हुए दर्द होने लगे तो पायरिया हो सकता है। पायरिया होने पर दांत के पीछे सफेद-पीले रंग की परत बन जाती है। कई बार हड्डी गल जाती है और दांत हिलने लगता है। पायरिया की मूल वजह दांतों की ढंग से सफाई न करना है।
इलाजरू पायरिया का सर्जिकल और नाॅन सर्जिकल दोनों तरह से इलाज होता है।

दांत निकलवाना कब जरूरी
दांत अगर पूरा खोखला हो गया हो, भयंकर इन्फेक्शन हो गया हो, मसूड़ों की बीमारी से दांत हिल गए हों या बीमारी दांतों की जड़ तक पहुंच गई हो तो दांत निकालना जरूरी हो जाता है।
ब्रश करने का सही तरीका
दिन में कम-से-कम दो बार ब्रश जरूर करें और हर बार खाने के बाद कुल्ला करें। दांतों को तीन-चार मिनट ब्रश करना चाहिए। कई लोग दांतों को बर्तन की तरह मांजते हैं, जोकि गलत है। इससे दांत घिस जाते हैं। आमतौर पर लोग जिस तरह दांत साफ करते हैं, उससे 60-70 फीसदी ही सफाई हो पाती है। दांतों को हमेशा सॉफ्ट ब्रश से हल्के दबाव से धीरे-धीरे साफ करें। मुंह में एक तरफ से ब्रशिंग शुरू कर दूसरी तरफ जाएं। बारी-बारी से हर दांत को साफ करें। ऊपर के दांतों को नीचे की ओर और नीचे के दांतों को ऊपर की ओर ब्रश करें। दांतों के बीच में फंसे कणों को फ्लाॅस (प्लास्टिक का धागा) से निकालें। इसमें 7.8 मिनट लगते हैं और यह अपने देश में ज्यादा काॅमन नहीं है। दांतों और मसूड़ों के जोड़ों की सफाई भी ढंग से करें। उंगली या ब्रश से धीरे-धीरे मसूड़ों की मालिश करने से वे मजबूत होते हैं। जीभ को टंग क्लीनर और ब्रश, दोनों से साफ किया जा सकता है। टंग क्लीनर का इस्तेमाल इस तरह करें कि खून न निकले।

टूथपेस्ट की भूमिका
दांतों की सफाई में टूथपेस्ट की ज्यादा भूमिका नहीं होती। असली एक्शन ब्रश करता है। लेकिन फिर भी अगर टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें, तो उसमें फ्लाॅराइड होना चाहिए। यह दांतों में कीड़ा लगने से बचाता है। पिपरमिंट वगैरह से ताजगी का अहसास होता है। टूथपाउडर और मंजन के इस्तेमाल से बचें। टूथपाउडर बेशक महीन दिखता है लेकिन काफी खुरदुरा होता है। टूथपाउडर करें तो उंगली से नहीं, बल्कि ब्रश से। मंजन इनेमल को घिस देता है।नीम के दातुन में बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है लेकिन यह दांतों को पूरी तरह साफ नहीं कर पाता। बेहतर विकल्प ब्रश ही है। दातुन करनी ही हो तो पहले उसे अच्छी तरह चबाते रहें। जब दातुन का अगला हिस्सा नरम हो जाए तो फिर उसमें दांत धीरे-धीरे साफ करें। सख्त दातुन दांतों पर जोर-जोर से रगड़ने से दांत घिस जाते हैं।
माउथवाॅश: मुंह में अच्छी खुशबू का अहसास कराता है। हाइजीन के लिहाज से अच्छा है लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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