सीनियर सिटीजन उम्र को लेकर पहले एक वाक्य चलता था, ‘लाइफ बिगिंस एट फाॅर्टी’ लेकिन अब जब औसत उम्र में इजाफा हुआ हैं, फाॅर्टी से बढ़कर अब यह सिक्सटी हो गया है, यानी कि अब ‘लाइफ बिगिंग एट सिक्सटी’ वाक्य लोकप्रिय हो रहा हैं। जहां पहले सीनियर सिटीजन अपने बेटे बहू, पोते पोती के साथ रहना चाहते थे आज जीवन के स्वर्णिम काल में अपना जीवन वे अपने ढ़ंग से गुजारना पसंद करने लगे हैं। अपनी स्वतंत्रता और सम्मान अब उन्हें ज्यादा महत्वपूर्ण लगने लगा हैं। वे एक्टिव रहत हुए संसार से कूच करना चाहते हैं, निष्क्रिय रहकर एक कोने में पड़े उपेक्षित बूढ़े की तरह नहीं। जनरेशन गेप के कारण बाप बेटों व सास बहू में आए दिन झगड़े होने लगते हैं।
झगड़े न भी हों तो उनमें से किसी न किसी को तो दूसरी पोजीशन पर रहना ही पड़ता है। अब वे उसे किस तरह लेते हैं, यह उनकी समझ पर निर्भर करता हैं। जाहिर है कि मां बाप जो अब तक घर में सर्वेसर्वा थे, सैकंड पोजीशन पर रहकर अपमानित महसूस करते हैं। ऐसी स्थिति आए, इससे पहले ही क्यों न प्रेमपूर्वक अलगक रहा जाए,