गोलगप्पा एंव कांजी का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी भर आता है। गोलगप्पा सूजी का और आटे का बनता है। सूजी का गोलगप्पा भुरभुरा एंव करारा होेता है। इसे पानीपूरी भी कहते हैं क्योंकि गोलगप्पे को कांजी, चना, आलू, मसाले से भरकर चाव से खाया जाता है। गोलगप्पे को हाजमेदार जायकेदार एंव चटकारेदार व्यंजन माना जाता है। गोलगप्पे को ठेला, रेहड़ी, साईकिल छाना कहीं पर भी लाद कर बेचा जा सकता है। इसके साथ-साथ चाट पापड़ी, भेल, चटनी भी बेची जाती है। हर शहर में गोलगप्पे को युवतियां महिलाएं बड़े चाव से खाती है। अब तो पुरूष भी इसे बड़े चाव से खाते हैं। विवाह शादियों, पार्टियों में गोलगप्पे के स्टाल को विशेष स्थान दिया जाता है। गोलगप्पा बेलकर बनाया जाता है। इनको पूरी की भांति तला जाता हैं। यह पूरी फूल कर गोल-गप्पा बन जाता है। आजकल एक गोलगप्पा एक रूपए से दो रूपए तक का बिकता है। इसमें आलू, चटनी, चने की फिलिंग की जाती हैं। कांजी से भर कर, पूरा मूंह खोल कर मुंह में रखकर चबाया जाता हैं और बड़े चाव से खाया जाता है। अक्सर चाट-गोल गप्पे की रेडड़ियों के गिर्द युवा लड़कियों का जमघट रहता है। कई बार उन्हें निहारने के लिए लड़के भी गोेलगप्पे खाने का शौक पाल लेते है तो ठेले वाले की चांदी हो जाती है। गोलगप्पों के साथ-साथ चाट पकौड़ी का भी मेल हो जाता है। आलू, भल्ला, पकौड़ी, पापड़ी, चटनी, दही के साथ मिक्स करके महिलाएं चाट पकौड़ी बड़े चटकारे लगा कर खाती है। साथ में आलू।