केले में है कई पौष्टिक गुणों का खजाना

केले में है कई पौष्टिक गुणों का खजाना

मूसासी परिवार का सदस्य केला बहुत प्राचीन फल है। 326 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी में केले का उल्लेख मिलता है। इसका वनस्पति नाम मूसा पारादिसिआका लिनिअस है। हमारे देश में यह सर्वत्र तराई वाले स्थानों, मंदिरों, धार्मिक स्थानों में खूब मिलता है। मांगलिक कार्यों में इसकी बड़ी उपयोगिता है। यह धार्मिक कृत्यों तोरण, वेदिका मंडप आदि की सजावट में काम आता है।
अन्य फलों की अपेक्षा केला बहुत पौष्टिक होता है परन्तु आमतौर पर लोग इसके गुणों से अनभिज्ञ होते हैं क्योंकि यह बहुतायत में मिलता है। केले में ग्लूकोज (घुलने वाली शक्कर) होती है। इसलिए इसकी उपयोगिता बहुत अधिक है। यह खाते समय मुंह में ही घुल जाता है। इससे शरीर को तुरन्त बल मिलता है।
केले में लगभग 75 प्रतिशत जल होता है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, लोहा तथा तांबा पर्याप्त मात्रा में होते हैं। मानव शरीर में रक्त निर्माण में लोहा, मैग्नीशियम तथा तांबा सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इसलिए रक्त निर्माण तथा रक्त परिशोधन में केला बहुत सहायक है। केले में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है इसलिए यह आतों की सफाई के लिए बहुत लाभकारी है। केला अम्लीय भोजन पर क्षारीय क्रिया करता है। विटामिन डी के अलावा अन्य सभी प्रकार के विटामिन इसमें पाए जाते हैं। केले में लगभग 22 प्रतिशत कार्बोहाइट्रेट, दो प्रतिशत प्रोटीन तथा एक प्रतिशत वसा भी होता है।
आयुर्वेद के अनुसार पका केला शीतल, वीर्यवर्धक, पुष्टिकर, मांसवर्धक, क्षुधा, प्यास, नेत्र रोगों तथा प्रमेह को नष्ट करता है। कच्चा केला कब्ज, ठंडा, कसैला, पचने में भारी, वायु तथा कफ पैदा करने वाला होता है।
केले के शर्बत को खांसी के लिए रामबाण समझा जाता है। इसके लिए पके हुए केले को काटकर उसमें चीनी मिला लें और उसे बंद मुंह वाले बर्तन में रख दें। अब एक चौडे मुंह वाले बर्तन में पानी डालकर उसमें बंद मुंह वाला बर्तन रखकर आग पर गर्म करें। जब पानी खौल जाए तो बर्तन नीचे उतार लें और केल को ठंडा करें। ठंडा होने पर इसे चम्मच मे मथ कर एकसार कर लें। केले के इस शर्बत से खांसी तो मिटती ही है। साथ ही यह वीर्यवर्धक, प्यास, नेत्र रोग तथा प्रमेह को नष्ट करने वाला होता है।
आंतों के विकारों में तथा दस्त, पेचिश एवं संग्रहणी रोगों में दो केले लगभग 100 ग्राम दही के साथ सेवन करने से लाभ होता है। जीभ पर छाले हो गए हों तो एक पके केले का सेवन गाय के दूध से बने दही के साथ करें। इससे छाले ठीक हो जाएंगे।
दमे के इलाज के लिए भी केला लाभकारी है। इसके लिए एक कम पका केला लेकर बिना छिलका उतारे उसे बीच में चीर लें इस चीर में जरा सा नमक तथा काली मिर्च का चूर्ण भर दें। इस केले को पूरी रात चांदनी में पड़ा रहने दें सुबह इस केले को आग पर भूनकर रोगी को खाने के लिए दें।
श्वेत प्रदर के निदान के लिए प्रतिदिन नियमित रूप से दो पके केलों का सेवन करना चाहिए। प्रतिदिन सुबह-शाम एक केला लगभग 5 ग्राम शुद्ध देसी घी के साथ खाने से भी प्रदर रोग दूर होता है। गर्मी में नकसीर फूटने पर एक पका केला शक्कर मिले दूध के साथ नियमित रूप से आठ दिन तक सेवन करें। इससे नकसीर आना बंद हो जाता है।
चोट या खरोंच लगने पर केले का छिलका उस स्थान पर बांधने से सूजन नहीं बढ़ती। केला सभी प्रकार की सूजन में लाभकारी है। इसके नियमित सेवन से आतों की सूजन भी मिटती है। आग से जलने पर प्रभावित स्थान पर केले का गूदा फेंटकर मरहम की तरह लगाने से तुरंत ठंड पड़ जाती है।
केले में लौह तत्व होता है इसलिए यह पाण्डु रोग में बहुत लाभकारी होता है। बिना छीले केले पर भीगा चूना लगाकर रात ओस में रखकर सुबह छीलकर खाने से पीलिया दूर हो जाता है यह प्रयोग एक से तीन सप्ताह तक नियमित रूप से करना चाहिए।
मोटापा बढ़ाने के लिए दो पके केले लगभग 250 मिली लीटर दूध के साथ एक महीने तक नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। केला दूध के समान खाद्य पदार्थ है अतः छः मास के शिशु को अच्छा पका केला मथकर खिलाया जा सकता है। दिमागी कसरत करने वालों के लिए भी केला उत्तम आहार है।

Related Post

61 Comments on “केले में है कई पौष्टिक गुणों का खजाना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *