बच्चों के लिए बचपन का मतलब होता है खिलौनों से खेलना। हर बच्चे के कुछ अपनी पसंद के खिलौने होते हैं लेकिन लड़कों के लिए अलग और लड़कियों के अलग खिलौने हैं। आपने भी देखा होगा कि लड़कियां हमेशा गुड़िया से खेलती हैं और लड़कों को प्लेन या रोबोट जैसे खिलौने दिए जाते हैं। लड़कियों के गुड़िया से खेलने पर अक्सर लड़के उनका मजाक उड़ाते हैं लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि गुड़िया से खेलने से भावनात्मक तौर पर परिपक्व होने, संवेदशीलता, कम्यूनिकेशन और मुश्किल को सुलझाने के स्किल्स बच्चे में विकसित करने में मदद मिल सकती है।
जेंडर का काम नहीं है
यहां पर यह कहने की कोशिश की जा रही है कि बच्चों के खिलौनों में जेंडर के बिना ही वैरायटी रखनी चाहिए। इससे बच्चे दुनिया में लिंग के आधार पर हो रहे भेदभाव से दूर रहते हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि गुड़िया से खेलने पर क्या फायदे मिल सकते हैं और लड़कों को भी इससे क्यों खेलना चाहिए।
इमोशनल मैच्योरिटी
जो बच्चे गुड़िया से खेलते हुए बड़े होते हैं, उनमें अपने आसपास की दुनिया को एक लेकर एक समझ और सम्मान होता है। बच्चे अपनी दुनिया को एक ऐसी छोटी-सी दुनिया में बदल देते हैं, जहां वो अपनी रोजमर्रा की परेशानियों को एक अलग तरीके से सुलझा सकें और खुद परिस्थितियों से डील कर सकें। गुड़िया का ख्याल रखने, उससे कनेक्ट करने और परिस्थितियों से डील करने से बच्चों में इमोशनल मैच्योरिटी विकसित होती है।
सोशल स्किल्स
बच्चे अपने दोस्तों या परिवार के ही हमउम्र बच्चों के साथ मिलकर गुड़िया के साथ खेलते हैं। इससे बच्चों के अंदर सोशल स्किल्स डेवलप होते हैं और उन्हें पता चलता है कि उन्हें दूसरों के साथ किस तरह बात करनी है। बच्चों को समझ आता है कि उन्हें दूसरों से कैसे बात करनी है और असली दुनिया में चीजों से कैसे निपटना है, यह भी सीखने को मिलता है। गुड़िया से आपको बात करनी पड़ती है जिससे बच्चों के दिमाग में मदद करने और शेयरिंग की आदत को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही बच्चा दूसरों की केयर करना भी सीखता है।
अलग-अलग हॉबी आती हैं
हर गुड़िया की कोई अलग कहानी होती है। इससे बच्चे को अलग-अलग एक्टिविटी और हॉबी सीखने को मिलती है। बच्चा अपनी हॉबी को समझकर अपनी पसंद और नापसंद को जान पाता है। यह अलग-अलग तरह से बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए अच्छा होता है। बच्चे एक ही हॉबी से चिपके रहने की बजाय कुछ नया ट्राई करते रहते हैं।
इमैजिनेशन को मिलता है बढ़ावा
गुड़िया के साथ खेलने पर बच्चों की इमैजिनेशन उत्तेजित होती है। आपने भी बच्चों को यह कहते सुना होगा कि उकनी गुड़िया बीमार है या वो आराम कर रही है। आपको क्या लगता है कि बच्चे के दिमाग में इस स्टोरी का कॉन्सेप्ट कहां से आया? गुड़िया से बच्चे अपने मन में ही बातें कर लेते हैं और इससे बच्चों को अपनी इमैजिनेशन को बढ़ावा देने और अलग-अलग स्थितियों के बारे में सोचने की शक्ति मिलती है।