आज के इस दौर में जहां पति पत्नी दोनों कामकाजी हैं, वहां मकान को घर बनाने में दोनों का ही अहम् योगदान होता हैं। घर के कामकाज हों या बच्चों की जरूरतें, शाॅपिंग हो या रिश्तेदारी निभाना अब पति-पत्नी दोनों की जिम्मेदारी है। सच तो यह है कि इस भागदौड़ भरी जिंगदी मं यदि आपस में प्रेम, समझदारी व विश्वास न हो तो रोज की मुश्किलों से लड़ना असंभव है। इसलिए हम बता रहें हैं। कुछ ऐसे टिप्स जिससे आपके दांपत्य जीवन की बगिया महक उठेगी।
दोषारोपण न करेंः- कुछ गलतफहमी होने पर एक दूसरे को दोष न दें। स्पष्ट रूप से मामले पर पुनर्विचार करें। एक-दूसरे पर हावी न हों बल्कि भावनाओं को समझाने का पूरा प्रयास करें। अपने साथी को मानसिक चोट कभी न पहुंचाएं। दोनों तरफ के परिवारों को बराबर सम्मान दें। माता-पिता, भाई-बहन तो एक सा रिश्ता लिए हुए हैं, इसलिए सम्मान में असमानता क्यों?
झगड़ों से बचेंः- छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करें। यदि पति को किसी समय अधिक क्रोध आ रहा है तो बहस न करें। शान्त होने पर मामले पर विचार करें। पत्नी के क्रोधित होने पर पति का शांत रहना परिवार कके हित में हैं। एक दूसरें से, परिवार वालों से, सगे संबंधी और मित्रों के साथ मीठा बोलें। कटु वाणी से संबंध खराब होते हैं।
अपेक्षाएं कम करेंः- एक दूसरे से कम अपेक्षाएं रखें। जहां अधिक अपेक्षाएं होती हैं, वहां इंसान अपेक्षा पूरी न होने पर खीजता रहता है, जिससे परिवार का वातावरण खराब होता है। समय की मांग के अनुसार पति या पत्नी को अपनी सोच के दायरे को भी बदलना पड़ता है परिवारिक, आंतरिक और बाह्य जिम्मेदारियों को मिल बांटकर निभाएं, क्योकि एक पार्टनर सभी जिम्मेदारी के बोझ को नहीं ढो सकता है।
मित्रवत व्यवहारः- एक दूसरे के प्रति दोस्ताना व्यवहार अपनाएं। एक दूसरे की शारीरिक इच्छाओं के सम्मान के साथ ही अन्या जरूरतों का ध्यान रखेंगे तो भटकाव की स्थिति नहीं आएगी। हर समय ‘तुमने यह ठीक नहीं किया’, ‘तुम यहां पर नही जाओगे’, या ‘इतने बजे तक तुम्हें घर पहुंचना ही है’ आदि बेमलतब के अंकुश एक दूसरे पर न लगाएं। घर का वातावरण तरोताजा रखने का प्रयास करें। एक दूसरे की इच्छाओं पर ध्यान दें। बीच-बीच में पति को चाहिए कि बच्चों की सहायता से पत्नी को आराम दें और शापिंग पर भेजें। हमेशा एक-दूसरे का महत्व महसुस कराते रहें। सगे संबंधी या मित्रों की बातों में आकर मन विचलित न करें। यदि किसी एक पार्टनर में कुछ कमी है तो मिलकर उसका हल निकालें और लोगों की बातों को अधिक महत्व न देकर अपनी परिस्थितियों से मिलकर।