रोजली ब. जमान, असम (शिवसागर) ‘महिला सशक्तिकरण के इस लेख में हम उसी क्षमता की
बात कर रहे हैं, जहाँ महिलाएँ परिवार और समाज के सभी
बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णयों की निर्माता खुद हो। दूसरे शब्दों में महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के
सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें
रोजगार, शिक्षा, आर्थिक तरक्की के बराबरी के मौके मिल सके,
जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके।
यह वह तरीका है, जिसके द्वारा महिलाएँ भी पुरुषों की तरह
अपनी हर आकंक्षाओं को पूरा कर सके। शिक्षा के मामले में भी भारत में महिलाएँ पुरुषों की अपेक्षा
काफी पीछे हैं। भारत में पुरुषों की शिक्षा दर 81.3 प्रतिशत है,
जबकि महिलाओं की शिक्षा दर मात्र 60.6 प्रतिशत ही है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले
समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली उन सभी
राक्षसी सोच को मारना जरुरी है, जैसे-दहेज प्रथा, अशिक्षा,
यौन हिंसा, असमानता, भ्रूण हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू
हिंसा, वैश्यावृति, मानव तस्करी और ऐसे ही दूसरे विषय। अपने
देश में उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है। जहाँ महिलाएँ अपने
परिवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरे बर्ताव से पीड़ित है।
महिला सशक्तिकरण भारत में
भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी
योजनाएँ चलाई जाती हैं। इनमें से कई सारी योजनाएँ रोजगार,
कृषि और स्वास्थ्य जैसी चीजों से सम्बंधित होती हैं। इन
योजनाओं का गठन भारतीय महिलाओं के परिस्थिति को देखते
हुए किया गया है ताकि समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ाया
जा सके। इनमें से कुछ मुख्य योजनाएँ मनरेगा, सर्व शिक्षा
अभियान, जननी सुरक्षा योजना (मातृ मृत्यु दर को कम करने के
लिए चलायी जाने वाली योजना)आदि हैं।
महिला अधिकारों और समानता का अवसर पाने में
महिला सशक्तिकरण ही अहम भूमिका निभा सकती है।
क्योंकि स्त्री सशक्तिकरण महिलाओं को सिर्फ गुजारे-भत्ते
के लिए ही तैयार नहीं करती, बल्कि उन्हें अपने अंदर नारी
चहना को जगाने और सामाजिक अत्याचारों से मुक्ति पाने
का माहौल भी तैयारी करती है।
जिस तरह से भारत आज दुनिया के सबसे तेज आर्थिक तरक्की
प्राप्त करने वाले देशों में शुमार हुआ है, उसे देखते हुए निकट
भविष्य में भारत को महिला सशक्तिकरण के लक्ष्य को प्राप्त
करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। भारतीय
समाज में सच में महिला सशक्तिकरण लाने के लिए महिलाओं
के विरुद्ध बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना और उन्हें
हटाना होगा जो समाज की पितृसत्तामक और पुरुष युक्त
व्यवस्था है। यह बहुत आवश्यक है कि हम महिलाओं के विरुद्ध
अपनी पुरानी सोच को बदलें और संवैधानिक तथा कानूनी
प्रावधानों में भी बदलाव लाए।
I am genuinely grateful to the owner of this web site who has shared this fantastic
post at here.
It’s amazing to visit this web page and reading the views of all mates concerning this piece of writing, while I am also keen of getting familiarity.
Amazing! Its really remarkable piece of
writing, I have got much clear idea concerning from this post.
I’m gone to say to my little brother, that he should also visit
this website on regular basis to get updated from hottest information.
Great post! We will be linking to this particularly great post on our site.
Keep up the good writing.
Awesome article.
What’s up colleagues, its wonderful post about cultureand entirely defined, keep it up all the time.
Link exchange is nothing else however it is simply placing the other person’s webpage link on your page at
suitable place and other person will also do similar for you.
Thanks for sharing such a pleasant idea, piece of writing is nice, thats why i have read it
completely