बुढ़ापा एक प्रकृति प्रदत्त प्रक्रिया है जिससे कोई नहीं बच पाता। बुढ़ापा एक तो शारीरिक रूप से होता है और दूसरे मानसिक रूप से। उम्र के साथ शरीर शिथिल पड़ जाता है। यदि मन भी ढीला पड़ जाए तो बुढ़ापे का प्रभाव शीघ्र दिखने लगता है। इस प्राकृतिक प्रक्रिया से इंसान को घबराना नहीं चाहिए बल्कि प्रसन्न मन से उसका स्वागत करना चाहिए। मानसिक व शारीरिक रूप से ठीक रहने के लिए आप कुछ हल्के आसन, सूक्ष्म क्रियाएं और प्राणायाम कर स्वयं को चुस्त और मानसिक रूप से जागरूक रख सकते हैं। हम आपको कुछ प्राणायाम, शारीरिक क्रियाएं और आसनों की जानकारी दे रहे हैं जो आप किसी प्रशिक्षक की देखरेख में कर सकते हैं।
प्राणायामः- प्रातः खुले स्थान पर सुखासन में बैठ जाएं। यदि बैठना मुश्किल हो तो कुर्सी पर बैठ जाएं और लम्बे गहरे श्वास भरें, छोड़ें। अपनी क्षमतानुसार श्वासों को गहराई से भर कर धीरे-धीरे छोड़ें। अपने शरीर पर किसी भी प्रकार से जबर्दस्ती न करें। दूसरा प्राणायाम आप अनुलोभ विलोम कर सकते हैं। किसी भी प्रकार की जल्दी न करें। आराम से क्षमतानुसार करें।
ध्यानः- ओम ध्वनि मध्यम स्वर में करें, 5 से 11 बार जितना आप आसानी से कर सकें। पहले आंकें बन्द कर सुखासन में बैठकर माथे के बीचों बीच अपने ध्यान को केन्द्रित कर ओम ध्वनि का उच्चारण करें। ध्वनि समाप्त होने पर शांत बैठकर ध्यान को केन्द्रित करें। अंत में दोनों हथेलियों को खोलते हुए बन्द आंखों पर रखें। फिर धीरे-धीरे बाहर की रोशनी ग्रहण करें।
कुछ शारीरिक सूक्ष्म क्रियाएंः- जमीन पर आसन बिछा कर टांगें सामने फैला कर बैठें। दोनों पैरों को मिलाएं। हथेलियों को घुटनों पर रखें। अब पैरों के पंजों को आसन की ओक ले जाने का और फिर अपनी ओर लाने की प्रयास करें। पैरों औ टांगों में कसाव बनाकर रखें। घुटनों को जमीन पर टिका कर रखें। अब पंजों को दांयी ओर फिर बांयी ओर घुमाएं। जब दांयी ओर पंजा ले जाएं तो उंगली आसन को स्पर्श करें। इसी प्रकार बायीं ओर 5 से 10 बार इस क्रिया को दोहराएं। हथेलियां घुटने पर टिकी रहें।
अब पंजों को दायीं से बायीं ओर घुमाते हुए ले जाएं, 5 से 10 बार, फिर एंटी क्लाक वाइज बायीं से दायीं ओर। थोड़ा आराम करें, टांगों में फासला, पैर दायीं बायीं ओर ढीले रखें। हाथों को कमर के पास आसन पर टिकाएं। आंखें बन्द कर की गयी क्रिया का आनन्द उठाएं।
अगली क्रिया, फिर से पांव मिलाकर अब दायीं टांग के घुटने को नीचे से ग्रिप करें, पांव ऊपर ले जाएं, फिर सामने। अंत में घुटने को मोड़ते हुए पेट के पास। बायीं टांग खिंची, तनी हुई आसन पर। इस प्रकार पंजों से साइकिल के पैडल की तरह घुमाएं। फिर दूसरी टांग से यही क्रिया करें। फिर विश्राम। विश्राम जैसे ऊपर बताया गया है, वैसे करें। दोनों पांव मिलाकर घुटनों को बारी-बारी आसन पर पटकें, फिर एक साथ पटके। इस प्रकार करने से घुटनों में रूकी वायु निकलती है।
अब और क्रिया करने की क्षमता हो तो खड़े होकर कदमताल और पैरों से किक मारने वाली क्रिया कर सकते हैं। इस क्रिया को करते हुए दोनों तरफ से हथेलियों से कमर को सहारा दें। इसी प्रकार कुछ हाथों, कंधों की क्रियाएं कर अपनी बाजुओं और कंघों को स्फूर्ति प्रदान कर सकते हैं। खड़े होकर या सुखापन में बैठकर दोनों मुट्ठियों को बन्द कर बाजुओं को सामने लाएं। कलाइयों को क्लाकवाइज, फिर एंटी क्लाक वाइज 10 से 15 बार घुमाएं। बाजुओं में कसाव बनाकर रखें और बाजुएं कंधे के समानांतर रहें। इसी प्रकार कंधों के साइड पर दोनों ओर से जोड़ों को दोनों दिशाओं में घुमाएं, फिर विश्राम।
अब दोनों कंधों पर मुट्ठियां बन्द कर रखें। सामने झटके सेलाएं, मुट्ठियां खोलें, हाथों की उंगलियों से पंजा बनाते हुए अपने पास लाएं, 5 बार इस क्रिया को करने के बाद विश्राम करें। बाजुओं की दोनों तरफ से कोहनियां मोड़ कर कंधों पर मुट्ठियां रखें। अब कोहनियों से गोल घुमाएं। 5 से 10 बार घुमाने के पश्चात् विपरीत दिशा में घुमाएं, फिर विश्राम करें।
कमर, गर्दन सीधी रखते हुए गर्दन को धीरे-धीरे दायीं ओर, फिर बीच में, फिर बायीं ओर, इस प्रकार 4 से 6 बार आराम से करें। ध्यान रखें कि गर्दन को झटका न लगे। इसी प्रकार दायां से बायींओर गोल घुमाएं। 4 से 6 बार करने के बाद विपरीत दिशा में गर्दन को आराम से आगे पीछे घुमाएं। फिर विश्राम करें। ये क्रियाएं आप सुबह-शाम टीवी देखते समय भी कर सकते हैं।
आसनः- प्रातः खुले पार्क में या घर के आंगन, बालकानी में हल्के-फुल्के आसन कर शरीर को चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं। खड़े होने वाला ताड़ासन कटिचासन कर बैठ जाएं। बैठकर जानुशरारी आसन कर शिथिलासन में विश्राम करें। विश्राम करें। उपरान्त शलभासन कर शिथिल आसन में विश्राम। पीठ के बल आकर पादोतानासन करें। उसके बाद पवनमुक्तासन करें। फिर श्वासन में विश्राम करें। श्रासन विश्राम करने की श्रेष्ठ क्रिया है। अंत में हंसी योग करें और प्रभु का धन्यवाद करें तथा मन में संकल्प लें कि मैं नियमित रूप से अपने व्यायाम कर सकूं और स्वास्थ्य का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकूं। अपने भोजन में बदलाव लाएं। न अधिक नमक, न अधिक मीठा लें। सादा, कम मसाले वाला भोजन लें। चाय, काफी का सेवन बहुत सीमित मात्रा में लें। दिन में उचित विश्राम लें। शाम को थोड़ा पार्क में टहलें और प्रकृति का आनन्द उठाएं। रात्रि में भोजन 7 बजे तक कर लें ताकि सोने तक भोजन पच सके। समय हो तो धार्मिक पुस्तकें पढ़ अपना आध्यात्म ज्ञान बढ़ाएं और दिनचर्या में बदलाव अवश्य रखें।