जब खरीदने को शादी के कंगन (चूड़ा) तो इन बातों का रखें ध्यान
शादी में दुल्हन के लिए जितना क्रेज लहंगे का होता है, उससे कई गुना अधिक वो ध्यान देती है कंगन की खरीददारी में। लहंगे की अहमियत तो जयमाल के समय होती है लेकिन कंगन शादी के कई माह बाद तक नव वधू के हाथों की शोभा बढ़ाते है। नई-नवेली दुल्हन जींस, सलवार और साड़ी के साथ शादी में पहने गए कंगनों को शान से धारण करती है। सदाबहार प्लेन कंगन शिवाला के चूड़ी विक्रेता राशिद बताते है, ”प्लेन कंगन हमेशा डिमांड में रहते है। लाल रंग शादी में शुभ माना जाता है इसलिए भले ही नववधू कितने ही डिजाइनर कंगन क्यों न खरीदें लेकिन वह लाल व महरून कंगनों को खरीदना नहीं भूलती।’’ फैशन के लिहाज से भी यह कंगन सदाबहार रहते है। इनकी बिक्री पूरे वर्ष बनी रहती है।
हर ड्रेस से मैचिंग – अगर प्लेन से अलग स्टाइलिश लुक चाहती है तो नग वाले कंगनों का चयन बेहतर रहेगा। यह मेटल और लाख दोनों में ही आते है। ज्यूलरी डिजाइनर सुपर्णा निगम बताती है। अगर आप ट्रेड के हिसाब से कंगनों का चयन करती है तो मेटल वाले कंगनों के बीच में लाख के नग वाले कंगनों को ट्राय कर सकती है।
पारंपरिक है बीकानेरी – धनकुट्टी स्थित श्रीकृष्णा बुटीक की फैशन डिजाइनर सारिका अग्रवाल कहती है, ”शादी में पारपरिक बीकानेरी कंगनों की डिमाड खास होती है। चटख रगों के इन कंगनों की विशेषता है कि इनका रग फेड नहीं होता। लाल और महरून रग के बीकानेरी कंगन उत्तर भारत में शादी के अवसर पर नई दुल्हन के लिए शुभ माने जाते है।
लिखवाएं दिल की बात – बिसाती बाजार के चूड़ी विक्रेता नईम भाई बताते है, ”इन दिनों जीवन साथी का नाम कंगनों पर लिखवाने का ट्रेड जोरों पर है। हमारे पास बहुत सी ऐसी गर्ल्स आती है जो कंगनों पर अपना और अपने होने वाले पति का नाम या दिल बनवाती है। यह काम ऑर्डर पर किया जाता है और नगों के हिसाब से इसका चार्ज कंगनों की कीमत से अलग लिया जाता है।c