”आप कभी भी अपने आप को व्यर्थ न समझें। ऐसा नाकारात्मक सोच आपके अंदर कुंठा को जन्म दे सकती है। सच तो यह है कि आप आज भी अपने परिवार व समाज के लिए बहुत उपयोगी है।“
आप सभी जानते हैं कि यह जीवन नाशवान है। एक दिन हर किसी की मृत्यु होनी है और यह मिट्टी का शरीर मिट्टी में ही मिल जाना है। मृत्यु एक चुनौती की तरह हमेशा हमारे चिकित्सा वैज्ञानिकों के सामने रही है। मनुष्य के शरीर में ऐसी कौन सी ऊर्जा है जिसके निकलते ही हमारी सांसों की डोर टूट जाती है। इस सत्य को बहुत कोशिशों के बाद भी कोई समझ नही पाया है। फिर भी चिकित्सा वैज्ञानिकों के द्वारा इतना तो संभव हुआ कि मनुष्य की औसत आयु पहले से कही अधिक हो गई है। और अब पहले की अपेक्षा वृद्धावस्था में भी मनुष्य चुस्त-दुरूस्त रह सकता है। अधिक उम्र तक स्वस्थ एवं चुस्त-दुरूस्त बने रहने के लिए वृद्धावस्था में भी मनुष्य का क्रियाशील रहना, पारिवारिक व सामाजिक सहयोग मिलना अति आवश्यक है। इसके अलावा खानपान की आदतें, आर्थिक स्थिति व मानसिक सोच का भी आपकी उम्र व स्वास्थ पर बहुत असर पड़ता है। यदि आप भी वृद्धावस्था में और भी स्वस्थ बनें रहना चाहते है तो निम्नलिखित बिंदुओं पर गंभीरता पूर्वक मनन करें।
- युवावस्था से ही हमें खानपान में संयम रखना चाहिए। 40 साल के बाद तो तली हुई वस्तुएँ, फास्ट फूड, मिर्च, खटाई, अधिक नमक, अधिक चीनी आदि एकदम कम कर देनी चाहिए जिससे वृद्धावस्था में होने वाले मोटापे, उच्च रक्तचाप, मधुमेह एवं हृदय रोग आदि से बचा सके।
- अपने वजन पर शुरू से ही नियंत्रण रखें, क्योंकि जोड़ों की बीमारियों के साथ-साथ अन्य कई बीमारियों को भी यह अपना मित्र आसानी से बना लेता है जो कि आपके स्वास्थ के साथ पूरी तरह से दुश्मनी निकालती है।
- खाने में सलाद, हरी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज आदि फाइबर युक्त वस्तुओं को प्राथमिकता दें। ये आपको हृदय रोग, मधुमेह एवं कैंसर जैसे रोगों से बचाने में मदद करेंगे और आप वृद्धावस्था में भी अन्य लोगो से अधिक स्वस्थ रहेंगे।
वैसे तो शाकाहारी होना ही बेहतर है, क्योंकि शाकाहारी व्यक्ति मासाहारी की तुलना में अधिक स्वस्थ रहता है एवं लम्बी आयु तक जीता है। फिर भी आप मांस का सेवन करते हैं तो रेडीमेड का सेवन कम-से-कम करें। - वृद्धावस्था में अधिकतर कैल्शियम की कमी हो जाती है, जिससे आॅस्टिपोरोसिस रोग होने की संभावना रहती है। इस रोग में हड्डियाँ कमजोर हो जाती है और जरा सा ही दबाव पड़ने से टूट जाती है। इस रोग से बचने के लिए नियमित रूप से मलाई रहित दूध लें।
- विभिन्न रोगो से बचने के लिए मनुष्य का क्रियाशील होना अति आवश्यक है। इसके लिए सुबह नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। इसके लिए योग के कुछ आसन भी किए जा सकते है। इससे सारे दिन आपके शरीर में ताजगी बनी रहती है एवं आपकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। इससे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधु-मेह, जोड़ो के रोग आदि होने की आशंका कम हो जाती है।
- शराब, तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी या किसी अन्य नशे की आदत बिल्कुल मत डालिए। इनके रहते आपकी जवानी किसी तरह से कट जाती है, पर आपका बुढ़ापा पूरी तरह से खराब हो जाता है। कई तरह की बिमारियों के साथ ही आर्थिक संकट भी आपको घेर लेता है।
- बच्चों की अच्छी शिक्षा, परवरिश, लाड-प्यार देने के साथ-साथ उन्हें ऐसे संसकार दें जिससे वे बुढ़ापे में आपका संबल बन सकें। निश्चित ही बेटे बहुओं का आपके प्रति सम्मान, प्यार व देखरेख आपको प्रसन्नचित व स्वस्थ रखेंगे। हर हाल में आपके भविष्य की चिंता करें। इसके लिए शरीर में यथासंभव शक्ति रहते अपने आप को आर्थिक रूप से सुरक्षित कर लें, क्योंकि समय पर रूपये पैसे ही काम आते है।
- हमेशा खुश रहें जिससे आप मानसिक तनाव से मुक्त रहेंगे इसके लिए आप खुद को किसी कार्य में व्यस्त रखें, पढ़े लिखें या अपनी कोई हाॅब्बी पूरी करें। इससे आपको आत्मसंतुष्टि मिलेगी जो आपके तनाव को कम करेगी।
- व्यर्थ के वाद-विवाद, लडाई-झगड़े एवं कोट-कटहरी के चक्कर में भी न पड़े। इससे आपकी सारी उम्र मुकदमा लड़ते ही बीत जाएगी, वैमनस्य बढ़ेगा और आर्थिक हानि भी होगी।
- कुछ विटामिन्स जैसे ई, ए, सी एवं संलिनियम काॅपर, जिंक एवं मैगनीज आदि खनिज तत्व वृद्धावस्था में होने वाले परिवर्तनों को रोकता है। एवं अन्य रोगों से बचाव भी करता है। अतः वृद्धावस्था में शरीर में इसकी कमी नही होने देना चाहिए। ये तत्त्व मौसमी फलों, सब्जियों एवं अनाजों में पर्याप्त मात्रा में मिलते है। अतः अपना खान पान एकदम संतुलित रखें जिससे आपके शरीर में पोषक तत्त्वों की कमी न हो सके।
- आप कभी भी अपने आप को व्यर्थ न समझें। ऐसी नाकारात्मक सोच आपके अंदर कुंठा को जन्म दे सकती है। सच तो यह है कि आप आज भी अपने परिवार व समाज के लिए बहुत उपयोगी है।
- अपनी हर एक शारीरिक या मानसिक परेशानी के लिए जल्द से जल्द अपने चिकित्सक से आवश्य मिलें। इससे समय रहते ही आपकी समस्या का समाधान हो जाएगा।
- नई पीढ़ी के सदस्यों के साथ तालमेल रखें। उनकी हर बात पर झीखें न और न ही मीनमेख निकालें। उनके विचारों को भी जाने और यदि ठीक है तो उनका स्वागत करें।
- हालांकि वृद्धावस्था में पूरी सावधानी के बाद भी कुछ परेशानियां जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, प्राटेस्ट ग्रंथि का बढ़ना, कान से कम सुनाई देना एवं मोतियाबिंद आदि हो सकती है। फिर भी वृद्धावस्था को अभिशाप न मानें और इसे पूर्ण उत्साह के साथ जिएँ।